स्कूल में होने वाली मॉरल साइंस की क्लास में ही नहीं बल्कि घर में भी बच्चों को मॉरल ट्रेनिंग देना बेहद जरूरी है। जैसे कि सुबह उठकर बड़ों के पैर छूना, मंदिर जाना और दादा दादी के साथ बैठकर उनसे बात करना आदि। इससे बच्चों में अच्छे संस्कार आते हैं। इससे जो बच्चे सिंगल फैमिली में रहते हैं वे भी रिश्तों के महत्व को अच्छे से समझ सकते हैं।अक्सर ऐसा होता है कि जिन बच्चों के माता पिता दोनों वर्किंग होते हैं वे दिन भर टीवी, मोबाइल, और कम्प्यूटर में लगे रहते हैं। बच्चों को जितना हो सके गैजेट्स से दूर रखने की कोशिश करें। बच्चों को मम्मी की हेल्प और घर के छोटे छोटे काम करना सिखाना चाहिए इससे उनके अंदर जिम्मेदारी की भावना आती है। स्कूल के समय बच्चों के पास एक्सट्रा ऐक्टीविटीज के लिए समय कम होता है। इसलिए छुट्टियों के समय उन्हें डांस, स्विमिंग और एक्सर्साइज के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए। बारिश के मौसम में पेड़ पौधों की दुनिया से बच्चों का जुडऩा उनके मन-मस्तिष्क और स्वास्थ्य के लिए बेहतर साबित होता है। बारिश के इस सीजन में बच्चों के हाथों से छोटी सी बगिया तैयार करवाई जा सकती है। अपने द्वारा लगाए गए पौधों की देखभाल करने से प्रकृति के साथ उनका लगाव बढ़ेगा और वह पर्यावरण की अहमियत को भी करीब से समझ सकेंगे। इससे बच्चों में पेड़-पौधों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। बारिश में होने वाली बीमारियों से बच्चों को बचाकर रखने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरतना भी आवश्यक है। इस सीजन में उन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। छुट्टियों में अस्त व्यस्त हो चुके बच्चों के डेली रूटीन को फिर से फॉलो करने के लिए भी प्रोत्साहित करना चाहिए।
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